Thursday, December 28, 2006

ZINDAGI SE AUR KYA CHAHIYE

ज़िन्दगी की बेपनाह पेचीदगियों में बच्चों की-सी मस्ती न छूटे
औ' ज़िन्दगी की तमाम मस्तियों में सचाई और ईमान न छूटे
ज़िन्दगी से और क्या चाहिये

कि जिनसे करें मुहब्बत वफ़ा मिले उनसे
करूँ एहतराम जिनका मिले इज़्ज़त उनसे
ज़िन्दगी से और क्या चाहिये

हो हर तमन्ना पूरी उनकी हर ख़ता मुआफ़ हो
ज़िन्दगी से और क्या चाहिये

उनके तमाम गुनाह मेरे सर पे,
मेरे सारे सबाब क़दमों में उनके
ज़िन्दगी से और क्या चाहिये

रहें वह मेहफ़िल-ए-मुहब्बत में रौशन सदा
निकले है दिल से यही एक दुआ
ज़िन्दगी से और क्या चाहिये

दिल लिया है तो देते भी जाईये
मुहब्बत करते जाईये, मुहब्बत करते जाईये
ज़िन्दगी से और क्या चाहिये
-मनीष मोदी

zindagee kii bepanaah pechiidgiyon mein bacchon kii-sii mastii na chhuute
aur zindagii kii tamaam mastiyon mein sachaaii aur iimaan na chhuute
zindagii se aur kyaa chaahiye

ki jinse karein muhabbat wafaa mile unse
karuun ehtaraam jinkaa mile izzat unse
zindagii se aur kyaa chaahiye

ho har tamannaa puurii unki, har khataa muaaf ho
zindagii se aur kyaa chaahiye

unke tamaam gunaah mere sar pe, mere saare sabaab qadmon mein unke
zindagii se aur kyaa chaahiye

rahein vo mehfil-e-muhabbat mein roshan
sadaa nikale hai dil se yahii ek duaa
zindagii se aur kyaa chaahiye

dil liyaa hai to dete bhii jaaiiye
muhabbat karte jaaiiye, muhabbat karte jaaiiye
zindagii se aur kyaa chaahiye

--Nazm by Manish Modi

 

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