मेरे नियाज़े इश्क़ की क्या बात है शमीम
क़दमों में हुस्न को न झुका दूँ तो बात क्या
-शमीम जयपुरी
mere niyaaze ishq kii kyaa baat hai Shamim
qadamon mein ishq ko na jhukaa duun to baat kyaa
-Shamim Jaypuri
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क़दमों में हुस्न को न झुका दूँ तो बात क्या
-शमीम जयपुरी
mere niyaaze ishq kii kyaa baat hai Shamim
qadamon mein ishq ko na jhukaa duun to baat kyaa
-Shamim Jaypuri
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1 comment:
जनाब,
क्या आप ROZ EK SHER के साथ साथ रोज़ एक शेर भी लिख सकते हैं? दरअसल बात कुछ नहीं है, पर हमारी खोज आपके खजाने तक पहुँच नहीं पा रही है।
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